Thursday 27 June 2013

उत्तराखंड त्रासदी




Despite the region being declared highly disaster prone by the CAG, the State Disaster Management Authority, which was formed in 2007, did not even conduct a single meeting: CAG Report
 
यह है हमारे देश में काम करने का तरीका। हम सब जानते हैं की  हर साल कितने श्रदालु चार धाम की यात्रा को जाते हैं फिर भी किसी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं करायी जाती है।  हम हमेशा किसी दुर्घटना के बाद ही क्यूँ जागते हैं, क्या हम पहले से सुरक्षा, सावधानी जैसी जरुरी सुविधों का ध्यान नहीं रख सकते.
ऐसा नहीं है जो कल परसों हुआ वो फिर से नहीं होगा, अब  जरुरत है की हमको अपनी ज़िम्मेदारी समझ के आगे आना पड़ेगा. भ्रष्ट सरकारी तंत्र को जगाने की जरुरत है. आज उत्तराखंड को वापस प्रगति पे लाने में ५ साल का समय लग जायेगा. आज हमारे देश में कितने  टूरिस्ट स्पॉट है जो अपनी खूबियों की वजह से देश विदेश में जाने जाते हैं. जो प्राकतिक धरोहर बचीं है देश मे उसकी तो हमें अच्छे से देखभाल करनी चाहिये क्यूँकि यही धरोहरें हैं जो बहुत सारे  छोटे छोटे नगरों को आय करने में मदद करती है.  आज उत्तराखंड मैं कितने परिवार बेघर हो गए,कितने मासूमों का सब कुछ छिन गया.क्या करेंगे वह लोग, कैसे जीयेंगे, कैसे रहेंगे. यह सब सोच के ही डर लगता है. यह नेताओ को जरा सी भी शर्म नहीं आती,इससें भी यह लोग अपनी अपनी रोटियां सेकने मे लगे हैं. कुछ तो ग्रैंड प्रिक्स की तरह फ्लैग ऑफ करके रेस्क्यू मटेरियल भेज रहे हैं. ऐसे लोगों के हाथ मे रहा हमारा भारत तो कैसे आगे बढेगा. सोच बदल के आगे बढ़ने की जरुरत है नहीं तो दिन दूर नहीं की हम अपना सब कुछ खो के फिर से गुलामी करने लगेंगे.

अमेरिका में हर साल ३-४ भयावक तूफ़ान आते हैं फिर भी वो हमेशा हर एक खतरे के लिए तैयार  रहते हैं. इसका यह मतलब नहीं की वो विकसित देश है बल्कि वो अपने लोगों की जान को तवज्जो देते हैं, जानते हैं की आज टेक्नोलॉजी को कैसे हर छेत्र में उपयोग में ला सकते हैं.वहां प्राक्रतिक आपदाओं के लिए फंड्स दिए जाते है जो की सुचारू रूप से लोगों की मदद करने के लिए उपयोग होते हैं न कि अगले घोटाले का आगाज़ होता है.डिजास्टर मैनेजमेंट  जैसे  शब्द सिर्फ वहां स्कूल-कॉलेज में ही उपयोग मे नहीं लाये जाते.

 क्यूँ उत्तराखंड का आदमी मर रहा है ?? 
क्यूँ ६ साल से डिजास्टर मैनेजमेंट की एक भी मीटिंग नहीं हुई?
किसका इंतज़ार कर रहे थे सब फ्लैग ऑफ सेरेमनी का?
कब तक हम कुछ लोगों के लालच की वजह से अपनी जान गवाते रहेंगे?

मरे हुए के परिजानो को २ लाख और चोट लगने वालो  को ५०००० हज़ार रूपये. उसमें भी लूट- खसोट जारी है. 
http://www.jagran.com/news/national-corruption-in-flood-10511008.html

हमको इस त्रासदी से इतना तो जरुर ही सिखाना चाहिये कि दोबारा ऐसी किसी घटना से पहले ही हम तैयार रहें.